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ईवीएम नहीं बैलेट से बैलेट से कराया जाए मतदान: नेता प्रतिपक्ष

देहरादून, 30 मई।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे बैलेट का चुनाव निष्पक्ष है। इसलिए बैलेट प्रक्रिया ही चनुावों में दोबारा अपनाई जाए। साथ ही उन्होंने प्रदेश में जल रहे रहे जंगलों और निकाय चुनाव पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय में नेता प्रतिपक्ष ने इंदिरा हृदयेश ने पत्रकारों से बातचीत में यह आरोप लगाए। उन्होंने केन्द्र सरकार को तानशाह सरकार की संज्ञा देते हुए कहा कि विपक्ष की भूमिका को सरकार दबा कर लोकतंत्र का गला घोट रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की जांच एजेंसियां बदले की भावना से कार्य कर रही है जबकि भाजपा समर्थित लोगों को भ्रष्टाचार करने का सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
इंदिरा हृदयेश ने प्रदेश में निकाय चुनाव को जानबूझ कर टालने का सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मई जून में चुनाव होने वाला था लेकिन सरकार की मंशा सही नही है। उन्होंने कहा कि आज तक आरक्षण और परिसीमन का काम पूरा नही हुआ। सरकार बात अपनी बात मनवाले के लिए न्यायालयों के हर निर्णयों पर डबल बेंच में जाकर चुनाव टालना चाह रही है। ऐसे में राज्य का विकास पर बूरा असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को विकास नही सत्ता की हनक है। आम चुनावों से लेकर उपचुनावों में जिस तरह ईवीएम मशीन में गड़बड़ी की शिकायत सुनने मिल रही है यह स्वच्छ लोकतंत्र के बहुत ही घातक है। इसलिए निर्वाचन को ऐसी प्रणाली को तुरंत बदल कर बैलेट वाली फिर से व्यवस्था लागू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व कही भी ईवीएम प्रणाली नही है लेकिन भारत में इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश में जल रहे जंगालों पर केन्द्र और राज्य सरकार की नाकामियों का नतीजा बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बिना सवाल किए कुछ भी करने को तैयार नही है। जंगलों में लगी आग से लोगों में भय का माहौल बना हुआ। उस रास्ते से यात्रा करने में बच्चे और परिवार भयभीत है लेकिन सरकार पर असर नही पड़ने वाला है।
चौथा खंभा न्यूज़ .com / नसीब सैनी/अभिषेक मेहरा
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इमरान खान की बंदूक और खूनखराबे की भाषा बर्दाश्त नहीं की जा सकतीःसंयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि विदिशा मैत्रा
—भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि इमरान खान की परमाणु तबाही की धमकी राजनेता की भाषा नहीं बल्कि असंतुलित मानसिकता वाले व्यक्ति की भाषा है


न्यूयॉर्क,(नसीब सैनी)।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजनयिक विदिशा मैत्रा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के इस विश्व मंच पर दिए गए भाषण का मुंहतोड़ उत्तर देते हुए कहा कि इमरान घृणा से भरी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो 21 वीं सदी नहीं बल्कि मध्ययुग की मानसिकता को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने उत्तर देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए कहा कि शुक्रवार को इमरान खान का घृणा से भरा भाषण विश्व संस्था का दुरुपयोग है । कूटनीति में एक-एक शब्द का अर्थ होता है। इमरान की भाषा इससे एकदम परे रही।

उन्होंने कहा कि इमरान ने नरसंहार, खूनखराबा, नस्ली दंभ, हथियार उठाने और मरते दम तक लड़ने जैसे शब्दों का प्रयोग किया जो कबायली कस्बे दर्रा आदम खेल में प्रचलित बंदूक की भाषा है। ऐसा इस विश्व संस्था में शायद ही पहले कभी हुआ हो। भारतीय राजनयिक ने कहा कि एक व्यक्ति जो कभी सज्जनों का खेल कहे जाने वाले क्रिकेट से जुड़ा रहा हो वह भोंडी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है।

भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि इमरान खान की परमाणु तबाही की धमकी राजनेता की भाषा नहीं बल्कि असंतुलित मानसिकता वाले व्यक्ति की भाषा है। पाकिस्तान में आतंकवाद का पूरा उद्योग फल फूल रहा है और इस पर उसका एकाधिकार जैसा है। इमरान खान पूरी निर्लज्जता से इसकी वकालत कर रहे हैं।

मैत्रा ने कहा कि इमरान खान की पूरी भाषा विभाजन पैदा करने वाली है। वह अमीर बनाम गरीब, उत्तर बनाम दक्षिण, विकसित बनाम विकासशील और मुस्लिम बनाम अन्य धर्मावलंबी की विभाजनकारी भाषा का इस्तेमाल विश्व संस्था में कर रहे हैं। यह घृणा फैलाने वाला भाषण (हेट स्पीच) है।

मैत्रा ने कश्मीरियों की हिमायत में बोलने के पाकिस्तान के दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों को किसी वकील की जरूरत नहीं है। खास ऐसे लोग उनकी ओर से नहीं बोल सकते जो आतंकवाद का उद्योग चला रहे हैं और घृणा की विचारधारा में विश्वास रखते हैं।

उन्होंने कहा कि अब जब कि इमरान खान ने उग्रवादी संगठनों की उनके देश में गैरमौजूदगी की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक भेजने की पेशकश की है, अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को यह दवाब बनाना चाहिए कि वह अपनी बात पर कायम रहें।

भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान की पेशकश के संदर्भ में उसके नेताओं से अनेक सवाल पूछे। उन्होंने पूछा, क्या यह सही नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 130 आतंकवादी और 25 आतंकवादी संगठन पाकिस्तान में पनाह लिए हुए हैं। क्या पाकिस्तान यह स्वीकार करेगा कि वह दुनिया में एकलौता ऐसा देश है जो आतंकवादी संगठनों अल कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकवादी को पेंशन देता है। क्या पाकिस्तान इस बात पर सफाई देगा कि न्यूयॉर्क स्थित पाकिस्तान के हबीब बैंक पर इसलिए ताला पड़ गया था कि वह आतंकवादियों को धन मुहैया करता था और उस पर भारी जुर्माना हुआ था। क्या पाकिस्तान इस बात से इंकार कर सकता है कि आतंकवादियों को धन मुहैया कराये जाने से रोकने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ने 27 में से 20 मानकों में पाकिस्तान को उल्लंघन करने वाला देश माना है। क्या इमरान खान इस बात से इंकार करेंगे कि वह ओसामा बिन लादेन की खुलकर हिमायत करते रहे हैं।

भारतीय प्रधिनिधि मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद और घृणा से भरे भाषण को मुख्यधारा बना दिया है और वह मानवाधिकारों का झूठा कार्ड खेल रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा का ब्योरा देते हुए मैत्रा ने कहा कि विभाजन के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यों की आबादी 23 प्रतिशत थी जो अब घट कर तीन प्रतिशत हो गई है। ईसाइयों, सिखों, अहमदिया लोगों, शियाओं, पश्तूनों, सिंधियों और बलूचियों के खिलाफ ईशनिंदा कानून के तहत जुल्म किया जा रहा है तथा योजनाबद्ध उत्पीड़न और जबरन धर्म परिवर्तन का सिलसिला जारी है।

विदिशा मैत्रा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पूरा नाम ‘इमरान खान नियाजी’ लेते हुए उन्हें बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान के जुल्मी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एए खान नियाजी के कारनामों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि संगठित नरसंहार किसी जीवंत लोकतंत्र में नहीं होते। अपनी याद्दाश्त ताजा करिये और वर्ष 1971 में पूर्व पाकिस्तान में जनरल नियाजी द्वारा किये गए नृशंस नरसंहार को मत भूलिए।

भारतीय प्रतिनिधि ने इस संदर्भ में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए संबोधन की चर्चा की। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संबंध में पाकिस्तान की जहरीली प्रतिक्रिया को खारिज करते हुए मैत्रा ने कहा कि यह एक कालबाह्य और अस्थाई प्रावधान था जो राज्य के विकास और शेष भारत के साथ उसके एकीकरण में बाधक था। इस अनुच्छेद को हटाए जाने का विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि संघर्ष पर फलने-फूलने वाले लोग शांति की किरण को कभी बर्दाश्त नहीं करते।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने और घृणा का वातावरण पैदा करने का मंसूबा बना रहा है जबकि भारत वहां विकास की गंगा बहाना चाहता है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत की जीवंत और समृद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा बनाया जा रहा है। यह लोकतंत्र विविधता, सहिष्णुता और बहुलवाद की सदियों पुरानी विरासत पर आधारित है।
नसीब सैनी
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सरकारी मेडिकल कॉलेजों में बढ़ेंगी एमबीबीएस की 35 सीट
कमजोर तबके को मजबूत करने का प्रयास


देहरादून, (नसीब सैनी)।
जरूरतमंद छात्रों के लिए मेडिकल के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने वाले का सपना पूरा करना अक्सर आसान नहीं होता। एमबीबीएस डॉक्टर बनने के इस सपने को पूरा करने में सबसे बड़ी अड़चन होती है कोर्स की भारी भरकम फीस की लेकिन, अब आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का यह सपना पूरा हो सकेगा। सरकार जल्द मेडिकल कॉलेजों में ऐसे छात्रों के लिए अलग से सीटों का इजाफ करने जा रही है।

जरूरतमंद छात्रों के लिए मेडिकल के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने वाले का सपना पूरा करना अक्सर आसान नहीं होता। एमबीबीएस डॉक्टर बनने के इस सपने को पूरा करने में सबसे बड़ी अड़चन होती है कोर्स की भारी भरकम फीस की लेकिन, अब आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का यह सपना पूरा हो सकेगा। सरकार जल्द मेडिकल कॉलेजों में ऐसे छात्रों के लिए अलग से सीटों का इजाफ करने जा रही है।

कमजोर तबके को मजबूत करने का प्रयास
दरअसल, इस फैसले के पीछे केंद्र सरकार का मकसद आर्थिक रूप से कमजोर तबके को मजबूती प्रदान करना है। खास बात यह है कि सरकार न केवल सरकारी बल्कि भविष्य में खुलने जा रहे नए मेडिकल कॉलेजों में भी दस फीसद सीटें आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए आरक्षित होंगी। नियम एमबीबीएस और पीजी दोनों पाठ्यक्रमों पर लागू होगा।

हर श्रेणी के छात्र को मिलेगा लाभ
वर्तमान आरक्षण व्यवस्था की बात करें तो देशभर के शिक्षण संस्थानों में जातिगत आधार पर सीट आरक्षित हैं। संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण है। एससी/एसटी ओबीसी आरक्षण में किसी प्रकार का बदलाव करना संभव नहीं है। लेकिन, इसके बाद भी कई ऐसे छात्र हैं जो इन श्रेणियों में नहीं आते हैं पर आर्थिक रूप से बेहद कमजोर स्थिति में हैं। उनके लिए सरकार की यह नई पहल वरदान साबित होगी। ऐसे छात्र आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी सरकार के इस कदम की बदौलत अपने सपनों को उड़ान दे सकेंगे।

सरकारी कॉलेजों में बढ़ेंगी 35 सीट
उत्तराखंड के सरकारी कॉलेजों की सीटों पर गौर करें तो श्रीनगर व हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटे है। इसके अलावा राजकीय दून मेडिकल में 150 सीटें हैं। ऐसे में एमसीआई के दिशा निर्देशों के अनुसार इन तीनों कॉलेज में दस-दस प्रतिशत सीटों का इजाफ होना है। जिसके बाद श्रीनगर व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 10-10 और दून मेडिकल कॉलेज में 15 अतिरिक्त सीटों का इजाफा होगा।
नसीब सैनी
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बीजेपी ने निकाली विजय संकल्प वाहन रैली, जवानों की बहादुरी के लगाये नारे
-रैली का शुभारंभ राज्य मंत्री पिछड़ा वर्ग बाबू राम निषाद ने झंडी दिखाकर की
कानपुर। लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने पूरी तरह कमर कस ली है। चुनावी तैयारियों को लेकर शनिवार को देश भर में विजय संकल्प वाहन रैली निकाली जा रही है। कानपुर में भी सभी विधानसभाओं से विजय संकल्प रैली निकाली गई।

इस रैली के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपनी-अपनी विधानसभा के क्षेत्रों में जाकर लोगों को भाजपा की नीतियों के प्रति जागरुक किया और प्रधानमंत्री मोदी सरकार की योजनाओं को जनता के बीच जाकर बताया। यही नहीं इस दौरान उनकी समस्याओं को भी सुना गया।

वाहन रैली को लेकर दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष बाबू राम निषाद ने बताया कि इस रैली का मकसद मोदी सरकार ने आम जन के लिए विकास की योजनाएं धरातल पर उतारी है उन सभी योजनाओं को जनता के बीच जाकर लोगों को बताना व उन्हें जागरुक करना है।

इस मौके पर विंग कमांडर अभिनन्दन के वतन वापसी पर खुशी जताते हुए कहा कि उनका अभिनन्दन है। जिस तरह की कार्यवाही भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर की जा रही है उससे पाकिस्तान को निश्चित मुंह की खानी पड़ेगी।

बीजेपी के पूर्व विधायक व प्रदेश महामंत्री सलिल विश्नोई ने बताया कि यह रैली देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल व प्रदेश की योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल की उपलब्धियों के लिए निकाली जा रही है। यह दोगुनी खुशी का समय भी जब हमारे जवानों ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया है। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और बढ़ी जीत के साथ देश में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहे हैं। इस दौरान भारी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा भारत माता के गीतों पर विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के आने पर जिंदाबाद के नारे लगाये जा रहे थे।
नसीब सैनी / अभिषेक मेहरा
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