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आरक्षण पर ओबीसी व दलित आपस में लड़ें तो आगामी चुनावों में किसको होगा लाभ ?
नई दिल्ली,
ओबीसी के अंतर्गत आने वाली कुछ जातियों को यदि ओबीसी से निकालकर दलित का दर्जा दे दिया जाये तो उनको आरक्षण का ज्यादा लाभ मिलेगा। अभी तक दलितों में जो जातियां हैं, उनको मिलने वाले आरक्षण में कमी हो जायेगी। क्योंकि उनको मिलने वाले आरक्षण में ओबीसी से आकर दलित बनी जातियों को भी हिस्सा जाने लगेगा। इससे पहले कि वे ओबीसी जातियां खुश होंगी जो दलित बनकर कम नम्बर के बावजूद अच्छे स्कूल, कालेजों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों में आसानी से नाम लिखाने, उसके बाद नौकरी, पदोन्नति पाने में कामयाब होने लगेंगी। दलित होने के चलते राजनीति में भी पदाधिकारी, केन्द्रीय मंत्री या राष्ट्रपति बनने लगेंगी। प्रधानमंत्री नहीं। वहीं 27 प्रतिशत ओबीसी वर्ग की बाकी जातियां भी खुश होंगी। क्योंकि उनके कोटे के आरक्षण की भीड़ कुछ कम होने से लाभ का मौका बढ़ जायेगा।
लेकिन इससे घाटा पहले से जो जातियां दलित श्रेणी में हैं,उनको होगा। इससे मूल दलित जातियां नाराज होकर विरोध प्रदर्शन करने लगेंगी ,सड़क पर आ जायेंगी। इसको लेकर ओबीसी व दलितों में टकराव बढ़ जायेगा। इससे यह आशंका जताई जाने लगी है कि कहीं इसी रणनीति के तहत दोनों की एकजुटता नहीं होने देने के लिए तो यह नहीं किया जा रहा है।
मालूम हो कि उ.प्र. में मुलायम सिंह यादव की जब सरकार थी तो उन्होंने तबकी अपनी घोर विरोधी व आंख की किरकिरी मायावती के दलित वोट बैंक को कमजोर करने व अपने ओबीसी के मतदाताओं को प्रसन्न करने के लिए ओबीसी की कुछ जातियों को दलित बनाने की कोशिश की थी। एक प्रस्ताव पास कराकर केन्द्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा था, लेकिन केन्द्र ने तब इस पर ध्यान नहीं दिया था। उसके बाद जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था, लेकिन केन्द्र की पहले वाली और वर्तमान सरकार ने भी इसे किनारे रख दिया। अब उ.प्र. में भाजपा की योगी सरकार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केवट, निषाद, बिंद, कहार, कुम्हार जैसी जातियों को दलित की श्रेणी में रखने की सिफारिश करके फाइल केन्द्र सरकार को भेजी है।
कहा जाता है कि चूंकि केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकारें हैं और एक साल बाद मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अखिलेश की सपा और मायावती की बसपा गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाले हैं, इसके चलते योगी की सिफारिश केन्द्र द्वारा स्वीकार कर लिये जाने की संभावना है। क्योंकि यह स्वीकार होते ही इसके विरुद्ध दलित सड़क पर आ जायेंगे। जो कि मायावती के आधार वोटर हैं। वे ओबीसी के विरुद्ध लामबंद होने लगेंगे। ओबीसी आधार वाले राज्य के सबसे बड़े नेता अखिलेश यादव व सपा है। सो दलितों के ओबीसी के विरुद्ध सड़क पर आने से मायावती और अखिलेश के गठबंधन को नुकसान होगा। ओबीसी के वर्ग की जिन जातियों को दलित का दर्जा मिल जायेगा, वे खुश होकर भाजपा को वोट देंगी। इस तरह भाजपा ओबीसी वोट में सेंध लगा देगी। इससे सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान होगा|
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24 घंटे के लिए पूरे हरियाणा में पेट्रोल पंप रहेंगे बंद ; केवल इमरजेंसी में मिलेगा; पहले से ही व्यवस्था करके रखें
प्रदेश के पंप संचालकों ने 24 घंटे की हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। अगर यह हड़ताल होती है तो 15 नवंबर सुबह 6 बजे से 16 नवंबर सुबह 6 बजे तक पंप पूरी तरह से बंद रहेंगे। न पेट्रोल मिलेगा, न ही डीजल।


हरियाणावासी 15 नवंबर को अपना वाहन लेकर घर से निकलें तो सावधान रहें। पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा, क्योंकि उस दिन 24 घंटे के लिए प्रदेशभर के पेट्रोल पंप बंद रहेंगे। प्रदेश के पंप संचालकों ने 24 घंटे की हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। अगर यह हड़ताल होती है तो 15 नवंबर सुबह 6 बजे से 16 नवंबर सुबह 6 बजे तक पंप पूरी तरह से बंद रहेंगे। न पेट्रोल मिलेगा, न ही डीजल। लेकिन इमरजेंसी होने पर मिलेगा। फिर भी समय रहते ऑयल की अव्यवस्था कर लें।
यह जानकारी अंबाला पेट्रोलियम वेलफेयर डीलर्स एसोसिएशन प्रधान रविंद्र ढिल्लो ने दी। उन्होंने बताया कि समय रहते मांगें पूरी नहीं होती तो हड़ताल रहेगी। पेट्रोल-डीजल की न खरीद होगी और न ही बेचा जाएगा। उनकी मांगें हैं कि हरियाणा में पेट्रोल, डीजल पर लगने वाले वैट को घटाकर पंजाब राज्य के घटे हुए वैट के बराबर कर दिया जाए। 2007 से जो डीलर कमिशन ही नहीं बढ़ाई गई है, उसमें बढ़ोतरी की जाए। नकली डीजल पर भी पूरी तरह से रोक लगाई जाए।
लेकिन लंबे समय से उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। यहीं कारण है कि अब पेट्रोल पंप संचालकों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। उधर, 15 नवंबर को हड़ताल के लिए पंप संचालकों ने एक दिन उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं। पेट्रोल व डीजल के टैंकर की भारत पैट्रोलियम में एडवांस बुकिंग करवा रहे हैं, ताकि बंद से पहले लोगों को तेल उपलब्ध कराया जा सके।
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कल से शुरू होगा गांव बाबा लदाना में 3 दिवसीय मेला, मेले को लेकर डेरे की तैयारियां पूरी
कल से शुरू होगा गांव बाबा लदाना में 3 दिवसीय मेला, मेले को लेकर डेरे की तैयारियां पूरी

ब्यूरो चौथा खंभा न्यूज़ कैथल। गांव बाबा लदाना स्थित डेरा बाबा राजपुरी पर 3 दिवसीय मेला शुक्रवार से लगेगा। रावण दहन के बाद मेले में श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो जाएंगे। दो साल बाद बाबा राजपुरी पर लगने वाले मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। कोरोना संक्रमण के कारण बीते वर्ष इतिहास में पहली बार बाबा राजपुरी पर मेला नहीं लग पाया था। इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण मेले की कोई अधिकारिक घोषणा नहीं है, लेकिन डेरे के प्रति लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के कारण यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद है। इसी को देखते हुए तैयारियां भी शुरू हो गई है। मंदिर को लाइटों से सजाया गया है। मेले के लिए झूले लग चुके हैं। इस बार डेरे की ओर से ही भंडारा लगाया जाएगा। भंडारे के लिए देसी घी के लड्डू तैयार किए जा रहे हैं।
डेरे को भव्य रूप से सजाया गया भंडारे के लिए देसी घी के लड्डू बनाते हलवाई
रावण दहन के बाद शुरू होता है मेला
डेरा बाबा राजपुरी पर 3 दिवसीय मेले की शुरुआत दशहरे से होती है। रावण दहन के बाद श्रद्धालु मेले में पहुंचना शुरू होते हैं। विजयदशमी, एकादशी व द्वादशी पर डेरे में मेला लगता है। यहां प्रदेशभर के अलावा पंजाब, राजस्थान, यूपी, गुजरात, छत्तीसगढ़ व केरल से भी श्रद्धालु पूजा पाठ के लिए पहुंचते हैं। डेरे में पशुओं की सुख समृद्धि के लिए पूजा की जाती है। श्रद्धालु दूध व घी का दान करते हैं और काफी श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर पशुओं को भी दान स्वरूप देकर जाते हैं।

3 दिवसीय मेले पर इस बार बाबा राजपुरी डेरे की ओर से ही भंडारा लगाया जा रहा है। जोकि तीन दिन तक चलेगा। इससे पहले श्रद्धालुओं की ओर से ही भंडारा लगाया जाता था संक्रमण को देखते हुए सेनिटाइज की व्यवस्था मंदिर की ओर से की जाएगी।

स्वामी विवेकानंद से जुड़ा है इतिहास
डेरा बाबा राजपुरी का इतिहास काफी गौरवमयी है। विश्व में प्रसिद्धि हासिल करने वाले आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस के गुरु तोतापुरी इसी डेरे के 7वें महंत थे। रामकृष्ण परमहंस ही स्वामी विवेकानंद के गुरु हैं। वर्तमान में बाबा दूजपुरी डेरा के महंत हैं। महंत दूजपुरी ने बताया कि बाबा राजपुरी के देशभर में 365 धुणे हैं। गांव लदाना में बाबा राजपुरी का जन्म 1690 में हुआ था। जिन्होंने करीब 8 वर्ष की उम्र में ही गांव बात्ता जाकर चोला धारण कर लिया और संत सरस्वती पुरी को अपना गुरु बनाया। बाबा राजपुरी 52 शक्तिपीठ में शामिल माता हिंगलाज को काफी मानते थे। इसके बाद गांव बाबा लदाना में डेरा की स्थापना हुई। आज भी ऐसी मान्यता है कि माता हिंगलाज अष्टमी की रात को डेरे में बने मंदिर में आती है और सैकड़ों साल पुराने जाल के पेड़ पर धागा बांधकर जाती है।
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कोल्डड्रिंक की मामूली उधारी को लेकर चायवाले का मर्डर
Chaiwala murdered over meager borrowing of cold drink

कैथल । कैथल के तलाई बाजार में मामूली उधारी के लिए एक मर्डर हो गया। जानकारी के अनुसार रितेश नामक व्यक्ति तलाई बाजार में चाय की दुकान चलाता था और अपने परिवार का पेट पालता था।

पास में ही एक राजू नामक टेलर की दुकान है। जब चायवाला रितेश सोमवार शाम को टेलर राजू से कोल्डड्रिंक के रुपये मांगने गया तो उनकी रुपये को लेकर कुछ आपस मे कहा सुनी हो गई जिसके बाद राजू ने रितेश के पेट मे कपड़ा काटने वाली कैंची मार दी। गंभीर रूप से घायल रितेश को अस्पताल में भर्ती करवाया गया जिसकी इलाज के दौरान कुछ देर बाद मौत हो गई।

पुलिस ने पहले 307 का पर्चा दर्ज किया था लेकिन रितेश की मौत के बाद 302 का मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
बता दें कि रितेश के परिवार में उनकी पत्नी व एक बच्चा है जिनका अकेला सहारा मृतक रितेश ही था।

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