छत्तीसगढ़
एस्मा लागू होते ही कई नर्से काम पर लौटी
रायपुर, 30 मई,

पिछले 12 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी नर्सेस संघ के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा एस्मा लागू कर दिया गया है, एस्मा यानी एसेंशियल सर्विसेज एक्ट जिसे हिन्दी में ‘अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून’ कहा जाता है। एस्मा के लागू होते ही सैकड़ों नर्सें काम पर लौट गई हैं, तो वहीं संघ अभी भी हड़ताल पर अडिग है। संघ ने कहा कि वे इस आदेश से डरने वाली नहीं है।
राज्य सरकार ने राज्य में चल रहे नर्सों के हड़ताल व आंदोलन को खत्म करने के लिए एस्मा लगाने का आदेश जारी कर दिया हे। नर्सों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए उन्हें काम पर लौटने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा एस्मा का आदेश जारी होते ही सैकड़ों नर्सें अपने कामों पर लौट गई हैं। लेकिन नर्सेस संघ की हजारों नर्सें अभी भी हड़ताल पर डटी हुई हैं।
संघ ने स्पष्ट किया कि वे इस आदेश से डरने वाली नहीं है और अपनी मांगों पर अडिग है। इधर शासन का कहना है कि लगातार समझाईश के बाद भी नर्सें काम पर नहीं लौट रही हैं, इससे आवश्यक सेवाएं बाधित हो रही है। मरीज परेशान हो रहे हैं। आवश्यक सेवाओं में काम करने से मना करने पर अब संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ज्ञात हो कि ग्रेड-पे 4600 रुपये करने, ग्रेड-2 के दर्जे के लिए चरणबद्ध आंदोलन कर रही नर्सों ने अन्य मांगों को लेकर अपनी हड़ताल शुरू की है।
चौथा खंभा न्यूज़ .com / नसीब सैनी/अभिषेक मेहरा
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सीआरपीएफ जवानों ने हथियार की जगह थामा झाडू, दिया स्वच्छता का संदेश
—सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन ने स्कूल परिसर एवं जिला पशु चिकित्सालय सहित सड़क के किनारों पर फैले कचरे एवं गंदगी की साफ-सफाई की


सुकमा,(नसीब सैनी)।
नक्सल प्रभावित जिले में तैनात सीआरपीएफ दूसरी बटालियन ने लोगों को अपने घरों एवं आस-पास के क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान चालकर लोगों को प्रेरित किया।

जिले में तैनात सीआरपीएफ जवान नक्सलियों से लोहा लेने के साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े दायित्वों के निर्वहन करने में भी तत्पर रहते हैं। स्वच्छता पखवाड़ा अभियान 2 दिसम्बर से 15 दिसम्बर तक चलाया जा रहा है। इसी के चलते शुक्रवार को जिला मुख्यालय स्थित सीआरपीएफ सेकेंड बटालियन के जवानों एवं अधिकारियों के हाथों में हथियार की जगह झाड़ू थामकर स्वच्छता अभियान चलाया गया।

सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन ने स्कूल परिसर एवं जिला पशु चिकित्सालय सहित सड़क के किनारों पर फैले कचरे एवं गंदगी की साफ-सफाई की। स्वच्छता अभियान के तहत लोगों को अपने आस-पास स्वच्छ रखने के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए भी प्रेरित किया। जवान एक घंटे से अधिक समय तक सफाई अभियान में जुटे रहे। इस दौरान सीआरपीएफ सेकेंड बटालियन के द्वितीय कमान अधिकारी अशोक कुमार सिंह, नवीन राणा, डिप्टी कमाडेंट संजीव कुमार, सहित सीआरपीएफ के जवान मौजूद रहे।
नसीब सैनी
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प्लास्टिक बंद होते ही इको फ्रेंडली कम्पोस्टेबल बैग्स बनी विकल्प
—यह ऐसा बैग है जिसे जमीन पर फेंकने के 90 से 180 दिनों के भीतर मिट्टी के संपर्क में आकर वह खाद के रूप में तब्दील हो जाता है


सूरजपुर,(नसीब सैनी)।
प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध के साथ लोगो को इस मुहिम में सहभागी बनाकर सार्थक पहल के लिए विविध आयोजन किया जा रहा है। जिले के नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे नो प्लास्टिक अभियान तथा कागज और कपड़े के बैग के उपयोग के प्रति जागरूकता के लिए इको फ्रेंडली कम्पोस्टेबल बैग्स की उपलब्धता भी हर बड़े-छोटे व्यवसायिक संस्थानों पर सहजता से उपलब्धता के लिए सूरजपुर जिला प्रशासन और व्यापारियों के संयुक्त प्रयास से जिले में संभव हो सका है।

यह ऐसा बैग है जिसे जमीन पर फेंकने के 90 से 180 दिनों के भीतर मिट्टी के संपर्क में आकर वह खाद के रूप में तब्दील हो जाता है। जो भूमि के लिए भी लाभकारी साबित होगा। इको फ्रेंडली कम्पोस्टेबल बैग्स की बाजारों में उपलब्धता और कपड़े व कागज से निर्मित बैग्स वितरित करते हुए लोगों जागरूक किया जा रहा है।

पर्यावरण की दृष्टि से इसे काफी उपयोगी माना जा रहा है। भारत सरकार के वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 के अंतर्गत निर्मित हो रहे इन बैग्स को सेन्ट्रल पॉल्युशन कंट्रोल और स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने एनओसी प्रदान करने के साथ सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट आफ प्लास्टिक एंड टेक्नालाॅजी (सीपेट) ने भी पर्यावरण के लिहाज से उपयोगी होने पर मुहर लगाई है।
नसीब सैनी
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एससी-एसटी एक्ट में तुरंत होगी गिरफ्तारी, दो जजों की बेंच का फैसला निरस्त
—सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपने फैसले में माना था कि एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी से कई बार बेकसूरों को जेल जाना पड़ता है


नई दिल्ली,(नसीब सैनी)।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने एससी-एसटी एक्ट में गिरफ्तारी के प्रावधानों को हल्का करने के पिछले साल दिये गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मामले में दो जजों की बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया है। पिछले साल दो जजों की बेंच ने अपने फैसले में माना था कि एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की व्यवस्था के चलते कई बार बेकसूर लोगों को जेल जाना पड़ता है। कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। इसके खिलाफ सरकार ने पुनर्विचार अर्जी दायर की थी। कोर्ट ने पिछले 18 सितम्बर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पिछले साल दिए इस फैसले में कोर्ट ने माना था कि एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की व्यवस्था के चलते कई बार बेकसूर लोगों को जेल जाना पड़ता है। कोर्ट ने फैसले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। बाद में केंद्र सरकार ने रद्द किए गए प्रावधानों को दोबारा जोड़ दिया था।
पिछले 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में सरकार की ओर से किये गए बदलाव के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से किये गए संशोधन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में एससी-एसटी एक्ट के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान का विरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी लेकिन सरकार ने बदलाव कर रद्द किए गए प्रावधानों को फिर से जोड़ दिया।
नसीब सैनी
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