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मोदी सरकार के चार साल : आठ योजनाएं, जिनका जनता पर हुआ असर

नई दिल्ली,24 मई..
PM नरेंद्र मोदी के चार साल के कार्यकाल की ऐसी आठ योजनाओं पर एक नज़र, जिन्होंने देश की जनता को प्रभावित किया
नई दिल्ली: केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरे हो रहे हैं. BJP के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार बहुत-से वादों के साथ कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन, यानी UPA सरकार को हराकर सत्ता पर काबिज हुई थी. प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित होने से पहले, चुनाव प्रचार के दौरान ही नरेंद्र मोदी की छवि बेहद प्रभावी वक्ता की बन गई थी, और UPA सरकार के तहत आए दिन छप रही भ्रष्टाचार की ख़बरों के बीच उनकी बातों का असर इस कदर हुआ कि NDA को अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई. 1984 के बाद 2014 का चुनाव पहला मौका था, जब देश की जनता ने किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत दिया, और देश की आज़ादी के बाद पहला मौका था, जब किसी गैर-कांग्रेसी दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ.
भले ही नरेंद्र मोदी सरकार ने बहुत-से अधूरे वादों पर जनता को आज भी जवाब देना है, लेकिन उनके बहुत-से कदम ऐसे भी रहे, जो पहले कभी नहीं उठाए गए. जिन योजनाओं का लाभ सबसे अधिक लोगों तक पहुंचा, उनमें जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, उजाला योजना आदि प्रमुख हैं. PM नरेंद्र मोदी के चार साल के कार्यकाल की ऐसी आठ योजनाओं पर एक नज़र, जिन्होंने देश की जनता को प्रभावित किया.
जन-धन बैंक खाते : नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे ज़्यादा कामयाब योजनाओं में जन-धन बैंक खाता योजना का ज़िक्र किया जाता है. केंद्र सरकार का कहना था कि आज़ादी के बाद लगभग 70 साल बीत जाने पर भी देश की करोड़ों की आबादी बैंकिंग व्यवस्था से अछूती रही, और अधिकांश जनता के पास एक बैंक बचत खाता तक नहीं था, सो, वे यह योजना लेकर आए, जिसके तहत ज़ीरो-बैलेंस बैंक बचत खाते खुलवाए गए. सरकार के मुताबिक, इससे न सिर्फ करोड़ों भारतीयों को बैंकिंग व्यवस्था से सीधे जुड़ने का मौका मिला, बल्कि योजना से लाभान्वित हुए गरीब देशवासियों ने ज़ीरो-बैलेंस खाते होने के बावजूद 81,203 करोड़ रुपये बैंकों में जमा कराए.
उज्ज्वला योजना : पिछली UPA सरकार के कार्यकाल के दौरान रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को सीमित कर दिया गया था, और गैर-BPL परिवारों को सालाना नौ सिलेंडर ही सब्सिडी के साथ मिलते थे, लेकिन उसके बाद इस्तेमाल होने वाले सिलेंडरों पर उन परिवारों को कोई सब्सिडी नहीं दी जाती थी. उज्ज्वला योजना मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज बताई जाती है, जिन्होंने करोड़ों संपन्न भारतीयों से रसोई गैस सिलेंडरों पर मिलने वाली सब्सिडी को स्वेच्छा से छोड़ देने की अपील की, और केंद्र सरकार का दावा है कि इस अपील के परिणामस्वरूप करोड़ों लोगों ने सब्सिडी का त्याग कर दिया, और उसकी बदौलत 3,94,60,489 गरीब महिलाओं के रसोईघरों में रसोई गैस पहुंची, या उनके परिवारों को सीधा लाभ मिला.
जनसुरक्षा योजना : भारत में जीवन बीमा करने के लिए आज लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया (LIC) समेत कई कंपनियां मौजूद हैं, जिनके पास करोड़ों ग्राहक भी हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कभी कोई बीमा पॉलिसी जारी नहीं की गई थी. 9 मई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसुरक्षा योजना के तहत तीन योजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) भी शामिल थी. PMJJBY दो लाख रुपये तक का जीवन बीमा प्रदान करती है, यानी बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसके परिवार को दो लाख रुपये की राशि दी जाती है. PMJJBY के तहत मिलने वाली पॉलिसी को हर वर्ष नवीकृत करना होता है, और उसके लिए 330 रुपये की प्रीमियम राशि देनी होती है. इस राशि के अतिरिक्त बीमित व्यक्ति को मौजूदा वर्ष में लागू सर्विस टैक्स तथा बैंकों की एडमिनिस्ट्रेटिव फीस के तौर पर 41 रुपये चुकाने होते हैं. केंद्र सरकार का दावा है कि मई, 2018 तक लगभग 19 करोड़ भारतीय इस योजना में शामिल हो चुके हैं. 9 मई, 2015 को प्रधानमंत्री ने जिन दो अन्य योजनाओं की घोषणा की थी, वे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना हैं.
मुद्रा योजना : देश की लगातार बढ़ती आबादी के बीच बेरोज़गारी ऐसी समस्या रही है, जिसने अधिकतर भारतीयों को परेशान कर रखा है. इसी समस्या से निपटने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी सरकार ने लोगों को स्वरोज़गार की ओर मोड़ने का प्रयास किया, तथा युवाओं से अपना-अपना कारोबार स्थापित करने का आग्रह करते हुए मुद्रा योजना शुरू की, जिसके तहत सरकार की ओर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है, ताकि लोग अपना व्यापार शुरू कर सकें या पहले से स्थापित व्यापार का विस्तार कर सकें. इस योजना को भी सरकार खासा कामयाब बताती है, और उसका दावा है कि मई, 2018 तक मुद्रा योजना के अंतर्गत 12,78,08,684 ऋण वितरित किए गए हैं.
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सॉयल हेल्थ कार्ड योजना : देश में किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ती नज़र आ रही थीं, और आएदिन किसानों द्वारा खुदकुशी करने की ख़बरें बिल्कुल आम हो चुकी थीं, जो अब तक थमी नहीं हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने उनकी समस्याओं का निराकरण करने के उद्देश्य से सॉयल हेल्थ कार्ड बनाने की घोषणा की, जिसके तहत मई, 2018 तक 13,33,13,396 सॉयल हेल्थ कार्ड बनाए गए. केंद्र सरकार का दावा है कि सॉयल हेल्थ कार्ड से किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा और वह इस कार्ड की मदद से न सिर्फ ज़मीन की उपजाऊ शक्ति को समझ पाएंगे, बल्कि यह भी जान पाएंगे कि उन्हें किस फसल के लिए कितना यूरिया और खाद खर्च करना पड़ेगा. सरकार का दावा है कि इस सॉयल हेल्थ कार्ड की मदद से किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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उजाला योजना : देश में लगातार बढ़ती आबादी के साथ-साथ बिजली की मांग भी लगातार बढ़ ही रही है, जिससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने जनता से आग्रह किया कि साधारण बल्बों, ट्यूबलाइटों तथा सीएफएल (CFL) बल्बों के स्थान पर एलईडी (LED) बल्बों का इस्तेमाल किया जाए, ताकि बिजली की खपत को कम किया जा सके. यही नहीं, सरकार ने उजाला योजना के अंतर्गत सस्ती दरों पर LED बल्ब भी उपलब्ध करवाए, और नरेंद्र मोदी सरकार का दावा है कि उजाला योजना के तहत मई, 2018 तक 29,96,35,477 LED बल्ब लोगों में बांटे गए हैं.
भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क (BBNL) : अब इंटरनेट से शहरी भारतीय ही नहीं, बहुत-सा ग्रामीण हिस्सा भी नावाकिफ नहीं है, लेकिन तकनीक का पूरा लाभ अब तक भी सारे देश में नहीं पहुंच रहा था. देश के सभी गांवों तक तकनीक का फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी सरकार ने ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये सारे देश में नेट-कनेक्टिविटी की व्यवस्था करने के लिए BBNL के माध्यम से काम शुरू किया. सरकार का कहना था कि गांवों तक तकनीक का विस्तार होने से भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा, और सभी देशवासियों तक सूचना का विस्तार भी सरल हो सकेगा. केंद्र सरकार का दावा है कि मई, 2018 तक देश के 1,15,703 गांवों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है.
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना : आज़ादी के 70 साल से भी ज़्यादा बीत चुके थे, लेकिन देश के कोने-कोने तक बिजली भी नहीं पहुंच पाई थी. इसी तस्वीर को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कदम उठाया, और अब उनका दावा है कि मई, 2018 तक देश के ऐसे 18,374 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है, जहां अब तक बिजली नहीं थी.
चौथा खंभा न्यूज़ .com / नसीब सैनी/अभिषेक मेहरा
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ITBP सब इंस्पेक्टर के खाते से 2.59 लाख उड़ाए: हिमाचल से लौटते समय बस में चोरी हुआ ATM कार्ड और मोबाइल; एक चूक से पकड़ा गया बदमाश
सब इंस्पेक्टर हिमाचल के रहने वाले है और रेवाड़ी के जाटूसाना स्थित आईटीबीपी के कैंप में तैनात है। रेवाड़ी बस स्टैंड चौकी पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।


हरियाणा के रेवाड़ी में ITBP में तैनात सब इंस्पेक्टर का मोबाइल फोन व ATM कार्ड चोरी कर उनके खाते से 2 लाख 59 हजार रुपए साफ कर दिए। सब इंस्पेक्टर हिमाचल के रहने वाले है और रेवाड़ी के जाटूसाना स्थित आईटीबीपी के कैंप में तैनात है। रेवाड़ी बस स्टैंड चौकी पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, हिमाचल के अवैरी बैजनाथ निवासी रमेश चंद ITBP में रेवाड़ी के जाटूसाना स्थित कैंप में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। रमेश चंद ने बताया कि कुछ समय पहले वह छुट्टी पर घर गए थे। छुट्टी खत्म होने के बाद वह ड्यूटी ज्वॉइन करने के लिए 28 दिसंबर को रेवाड़ी बस स्टैंड पहुंचे थे। बस स्टैंड से जाटूसाना जाने के लिए बस में सवार होते समय किसी ने भीड़ में उनका एटीएम व मोबाइल चोरी कर लिया। उसके बाद मोबाइल व एटीएम के जरिए ही खाते से 259000 हजार रुपए निकाल लिए।
जांच करने पर आरोपी की पहचान जाटव मोहल्ला रामपुरा निवासी लोकेश पालिया के रूप में हुई। जिसमें 20200 रुपए अपने अकाउंट में ड्रांसफर किए जबकि एक लाख रुपए खाते से निकाले गए। बाकी लेनदेन पेटीएम से किया गया। पूरी जानकारी हासिल करने के बाद रमेश चंद ने इसकी शिकायत बस स्टैंड चौकी पुलिस को दी। पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी लोकेश पालिया की तलाश शुरू कर दी है। गुरुवार को पुलिस ने लोकेश के घर दबिश भी दी, लेकिन वह नहीं मिला। बस स्टैंड चौकी पुलिस के अनुसार जल्द ही आरोपी को पकड़ लिया जाएगा।
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पानीपत में रोका बाल विवाह: लड़का और लड़की दोनों थे नाबालिग, शपथ पत्र लेकर फिलहाल रोकी गई शादी
लड़का व लड़की दोनों के स्कूली दस्तावेजों की जांच की गई तो लड़की की उम्र 16 साल व लड़के की उम्र 19 साल पाई गई। दोनों ही अभी शादी के योग्य नहीं थे। परिवार वालों से शपथ पत्र लेकर फिलहाल इस शादी को रोक दिया गया है।


हरियाणा के पानीपत जिले के एक गांव में बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बाल विवाह रुकवाया है। अधिकारी ने सूचना के आधार पर इस कार्रवाई को किया। लड़का व लड़की दोनों के स्कूली दस्तावेजों की जांच की गई। जिसमें लड़की की उम्र 16 साल व लड़के की उम्र 19 साल पाई गई। दोनों ही अभी शादी के योग्य नहीं थे। परिवार वालों से शपथ पत्र लेकर फिलहाल इस शादी को रोक दिया गया है। दोनों पक्षों से शपथ पत्र लेकर फिलहाल शादी पर रोक लगा दी है। वहीं 4 जनवरी को कोर्ट खुलने के बाद मामला कोट के संज्ञान में लाकर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता के अनुसार
जानकारी देते हुए बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि उन्हें सूचना प्राप्त हुई की गांव नवादा पार में एक नाबालिग लड़की की शादी होनी है। सूचना मिलने पर वह टीम के साथ मौके पर पहुंचे और वहां जाकर लड़की पक्ष से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान लड़की के सभी दस्तावेज चेक किए गए। लड़की के स्कूल के दस्तावेजों में उसकी जन्मतिथि मार्च 2005 की मिली। यानी दस्तावेजों के आधार पर लड़की अभी महज 16 साल की थी। इसके बाद लड़के पक्ष को फोन पर बात कर अपने कार्यालय बुलाया। जहां लड़का पक्ष मौजूद हुआ और लड़के के दस्तावेजों को चेक किया गया, जिसमें लड़का भी नाबालिग पाया गया। लड़के की उम्र दस्तावेजों के आधार पर 19 साल थी।
इन कारणों से हो रही थी बाल विवाह
लड़की के पिता ने बताया कि वह पेशे से श्रमिक हैं। यह अपनी बेटी की शादी गरीबी और अज्ञानता के चलते कर रहे थे। साथ ही वह खुद हार्ट पेशेंट है, उनकी तमन्ना थी कि उनके जीते जी उनकी बेटी की शादी हो जाए। वही लड़के पक्ष से लड़के का कहना है कि उसकी चार बड़ी बहने हैं, जो कि चारों विवाहित हैं। तीन भाई व एक छोटी बहन है। अब घर में कोई रोटी बनाने वाला नहीं था, क्योंकि मां की तबीयत सही नहीं रहती है। इसी के चलते वह शादी कर रहा था।
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बालिग हूं, मेरी मर्जी जहां जाऊं: थाने में युवक संग जाने को अड़ी 19 वर्षीय छात्रा, दो दिन पहले गई थी साथ
युवती ने पुलिस से साफ कह दिया कि वह युवक के साथ ही जाएगी। पुलिस और परिजनों के सामझाने पर वह नहीं मानी। छात्रा ने परिजनों की सब दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मैं बालिग हूं, मेरी मर्जी जहां जाऊं।


हरियाणा के रोहतक के जिले में कॉलेज से दो दिन पहले एक युवक संग गई युवती को पुलिस ने बरामद कर लिया। हालांकि युवती ने पुलिस से साफ कह दिया कि वह युवक के साथ ही जाएगी। पुलिस और परिजनों के सामझाने पर वह नहीं मानी। छात्रा ने परिजनों की सब दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मैं बालिग हूं, मेरी मर्जी जहां जाऊं।
कॉलेज गई थी प्रवेश पत्र लेने
लाखन माजरा थाना क्षेत्र के एक गांव से छात्रा मंगलवार सुबह कॉलेज के लिए यह कहकर निकली थी कि आगामी परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र लेने जा रही हूं। उसके वापस न लौटने पर परिजनों ने काफी खोज खबर की।रातभर छात्रा की खोज-खबर करने के बाद बुधवार सुबह पुलिस को सूचना दी। छात्रा के पिता ने थाना लाखन माजरा में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने छात्रा व युवक को वीरवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया। दोनों को थाना लाया गया। यहां छात्रा ने युवक संग जाने की रट लगा दी।
कोर्ट में होंगे पेश
मामले में थाना लाखन माजरा एसएचओ अब्दुल्ला खान का कहना है कि छात्रा बालिग है। छात्रा व युवक को कोर्ट में पेश किया जाएगा। वहां उनके बयानों के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। युवक व छात्रा को कोर्ट ले जाने की तैयारी की जा रही है।
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