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घाटी में घट रहे हैं पत्थरबाज
-1987 के बाद ऐसी शांति पहली बार हुई है
-फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती द्वारा भड़काऊ बयान देने के बावजूद घाटी में शांति कायम है
देश के बदले राजनीतिक माहौल और जम्मू-कश्मीर पर नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह की सख्ती के चलते आतंकवाद, अलगाववाद व पत्थरबाजों पर शिकंजा कसा है। नतीजतन घाटी की आबोहवा बदली-बदली नजर आ रही है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2016 में सेना पर पत्थर बरसाने वाले किशोर व युवाओं की संख्या ढाई हजार से ज्यादा थी। वह अब 2019 में घटकर कुछ दर्जनों में ही सिमट गई है। इसे सरकार की कठोर रणनीति और सैन्यबलों की सख्त कार्यवाही की वजह माना जा रहा है।
घाटी में तुलसीदास की कहावत ‘भय बिन होई न प्रीत’ चरितार्थ होती दिख रही है। घाटी में शांति है। डल झील की नौकाओं में पर्यटक ठहरने लगे हैं। अलगाववादियों पर नकेल कसने का आलम यह है कि वे अब जमीन से जुड़े रहने के लिए दुकानों के उद्घाटन कर रहे हैं और ऑल इंडिया हुर्रियत क्रांफ्रेंस के नेता विस्थापित कश्मीरी पंडितों से मिलकर वापसी की गुहार लगा रहे हैं। हुर्रियत ने पहली बार सरकार के साथ बातचीत की खुद पहल की है। पिछले महीने जब अमित शाह कश्मीर गए थे, तब घाटी में बंद का ऐलान नहीं किया गया। ऐसा 1987 के बाद पहली बार हुआ। यह बदलाव कश्मीर में कयामत बरपा रहे नेताओं पर एनआईए द्वारा कसे गए शिकंजे से आया है।
जम्मू-कश्मीर में सख्ती के चलते हालात तेजी से सुधर रहे हैं। आम जनजीवन सामान्य हो रहा है। पत्थरबाजी की घटनाएं अप्रत्याशित ढंग से कम हो रही हैं। 2016 में पत्थरबाजी की 2653 घटनाएं हुई थीं। 2019 के बीते छह महीनों में दर्जनभर वरदातें ही सामने आई हैं। इन मामलों में शरारती तत्वों की गिरफ्तारियां भी 10,571 से घटकर 100 के आंकड़े के इर्द-गिर्द सिमट गई है। 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में आतंक और पत्थरबाजी के साथ उथल-पुथल का लंबा दौर चला था। 2017 में पत्थरबाजी की 1412 घटनाएं घटीं। नतीजतन गड़बड़ी फैलाने वाले 2838 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2018 में पत्थरबाजी की 1458 घटनाएं घटीं, जिनमें 3797 असामाजिक तत्व पकड़े गए। 2019 के छह महीनों के भीतर पत्थरबाजी की मात्र 40 घटनाएं घटी जिनमें करीब 100 लोग गिरफ्तार किए गए। दरअसल, 19 जून 2018 को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद घाटी में आतंक लगातार काबू में आ रहा है। सुरक्षा की स्थिति सुधर रही है। फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती द्वारा भड़काऊ बयान देने के बावजूद घाटी में शांति कायम है।
1987 के बाद ऐसी शांति पहली बार हुई है। ये हालात इसलिए बने क्योंकि 2018 में पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित 240 से ज्यादा युवा आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया। 2019 में भी अब तक 123 आतंकियों को मारा जा चुका है। इसका परिणाम है कि आतंकी संगठनों को अब आसानी से पाकिस्तान और घाटी में आतंक का पाठ पढ़ाने के लिए युवक नहीं मिल रहे हैं। सुरक्षाबलों को जानकारी तो यहां तक मिल रही है कि एक संगठन में आया युवक, दूसरे संगठन में आतंक का प्रशिक्षण लेने को आतुर दिखाई देता है तो उसकी हत्या तक करने लगे हैं। आईएसजेके, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल के आतंकियों के बीच हाल ही में वर्चस्व को लेकर हुई मुठभेड़ में एक आतंकी ने दूसरे को गोली मार दी थी।
पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन 2019 से पहले तक जम्मू-कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों पर आत्मघाती हमले करने के लिए बड़ी संख्या में मासूम बच्चे और किशोरों की भर्तियां कर रहे थे। इन्हें सेना और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ों के दौरान इस्तेमाल भी किया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में इन तथ्यों का खुलासा किया गया है। यह रिपोर्ट ‘बच्चे एवं सशस्त्र संघर्ष’ के नाम से जारी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे आतंकी संगठनों में शामिल किए जाने वाले बच्चे और किशोरों को आतंक का पाठ मदरसों में पढ़ाया गया है।
पिछले साल कश्मीर में हुए तीन आतंकी हमलों में बच्चों के शामिल होने के तथ्यों की पुष्टि हुई थी। जम्मू-कश्मीर में युवाओं को आतंकी बनाने की मुहिम अलगाववादी भी चला रहे थे। इस तथ्य की पुष्टि 20 वर्षीय गुमराह आतंकवादी अर्शिद माजिद खान के आत्मसमर्पण से हुई थी। अर्शिद कॉलेज में फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी था। लेकिन कश्मीर के बिगड़े माहौल में धर्म की अफीम चटा देने के कारण वह बहक गया और लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। उसके आतंकवादी बनने की खबर मिलते ही मां-बाप जिस बेहाल स्थिति को प्राप्त हुए, उससे अर्शिद का हृदय पिघल गया और वह घर लौट आया।दरअसल, कश्मीरी युवक जिस तरह से आतंकी बनाए जा रहे थे, यह पाकिस्तानी सेना और वहां पनाह लिए आतंकी संगठनों के नापाक मंसूबों की देन है। पाकिस्तान की अवाम में यह मंसूबा पल रहा है कि ‘हंस के लिया पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिंदुस्तान।’ इस मकसद की पूर्ति के लिए मुस्लिम कौम के उन गरीब और लाचार बच्चे, किशोर और युवाओं को इस्लाम के बहाने आतंकी बनाने का काम मदरसों में किया जा रहा है, जो अपने परिवार की आर्थिक बदहाली दूर करने के लिए आर्थिक सुरक्षा चाहते हैं।
पाकिस्तानी सेना के भेष में यही आतंकी अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा को पार कर भारत-पाक सीमा पर छद्म युद्ध लड़ रहे हैं। कारगिल युद्ध में भी इन छद्म बहरुपियों की मुख्य भूमिका थी। इस सच्चाई से पर्दा संयुक्त राष्ट्र ने तो बहुत बाद में उठाया, खुद पाकिस्तान के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल एवं पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के सेवानिवृत्त अधिकारी रहे शाहिद अजीज ने ‘द नेशनल डेली’ अखबार में पहले ही उठा दिया था। अजीज ने कहा था कि ‘कारगिल की तरह हमने कोई सबक नहीं लिया है। हकीकत यह है कि हमारे गलत और जिद्दी कामों की कीमत हमारे बच्चे अपने खून से चुका रहे हैं।’ यह अलग बात है कि शाहिद अजीज के कहे से कोई सबक न तो पाकिस्तानी आतंकियों ने लिया और न ही कश्मीर के अलगाववादियों ने। घाटी में जो भी बदलाव आया है, वह अलगाववादियों का हुक्का-पानी बंद करने और पाकिस्तान से भेजे गए आतंकियों को मौत के घाट उतार देने से आया है। दरअसल पाक से मिल रही आर्थिक मदद कश्मीर में अलगाव की आग सुलगाए रखने का बहाना बनी हुई थी। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद एनआईए ने जब घाटी के अलगाववादी नेता यासीन मलिक, नईम खान, अल्ताफ शाह, शब्बीर शाह, मसरत आलम और आसिया अंद्राबी को जेल भेज दिया और हुर्रियत के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी को घर में ही नजरबंद कर दिया तो घाटी में शांति की शुरुआत हो गई। लेकिन इस शांति की स्थाई रूप से बहाली तभी होगी, जब संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के प्रावधान खत्म होंगे।
हालांकि मोदी और शाह की जोड़ी ने मिशन कश्मीर पूरा करने की दृष्टि से विधानसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन शुरू कराने की पहल कर दी है। परिसीमन पूरा होने के बाद विधानसभा सीटों के मतदाताओं के जनसंख्यामक घनत्व में परिर्वतन आएगा, जो घाटी में धार्मिक व जातीय बहुलतावाद का आधार बनेगा। इस बहुलतावादी वातावरण के निर्माण होने के बाद जो चुनाव होंगे, उससे निकले जनादेश से यह उम्मीद बंध जाएगी कि वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव लाकर धारा 370 और 35ए जैसे अलगाववाद को उकसाने वाले अस्थाई प्रावधानों को खत्म करने की सिफारिश केंद्र सरकार से करे। ऐसा संभव हो जाता है तो कश्मीर में स्थाई शांति हमेशा के लिए कायम हो जाएगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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ITBP सब इंस्पेक्टर के खाते से 2.59 लाख उड़ाए: हिमाचल से लौटते समय बस में चोरी हुआ ATM कार्ड और मोबाइल; एक चूक से पकड़ा गया बदमाश
सब इंस्पेक्टर हिमाचल के रहने वाले है और रेवाड़ी के जाटूसाना स्थित आईटीबीपी के कैंप में तैनात है। रेवाड़ी बस स्टैंड चौकी पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
हरियाणा के रेवाड़ी में ITBP में तैनात सब इंस्पेक्टर का मोबाइल फोन व ATM कार्ड चोरी कर उनके खाते से 2 लाख 59 हजार रुपए साफ कर दिए। सब इंस्पेक्टर हिमाचल के रहने वाले है और रेवाड़ी के जाटूसाना स्थित आईटीबीपी के कैंप में तैनात है। रेवाड़ी बस स्टैंड चौकी पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, हिमाचल के अवैरी बैजनाथ निवासी रमेश चंद ITBP में रेवाड़ी के जाटूसाना स्थित कैंप में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। रमेश चंद ने बताया कि कुछ समय पहले वह छुट्टी पर घर गए थे। छुट्टी खत्म होने के बाद वह ड्यूटी ज्वॉइन करने के लिए 28 दिसंबर को रेवाड़ी बस स्टैंड पहुंचे थे। बस स्टैंड से जाटूसाना जाने के लिए बस में सवार होते समय किसी ने भीड़ में उनका एटीएम व मोबाइल चोरी कर लिया। उसके बाद मोबाइल व एटीएम के जरिए ही खाते से 259000 हजार रुपए निकाल लिए।
जांच करने पर आरोपी की पहचान जाटव मोहल्ला रामपुरा निवासी लोकेश पालिया के रूप में हुई। जिसमें 20200 रुपए अपने अकाउंट में ड्रांसफर किए जबकि एक लाख रुपए खाते से निकाले गए। बाकी लेनदेन पेटीएम से किया गया। पूरी जानकारी हासिल करने के बाद रमेश चंद ने इसकी शिकायत बस स्टैंड चौकी पुलिस को दी। पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी लोकेश पालिया की तलाश शुरू कर दी है। गुरुवार को पुलिस ने लोकेश के घर दबिश भी दी, लेकिन वह नहीं मिला। बस स्टैंड चौकी पुलिस के अनुसार जल्द ही आरोपी को पकड़ लिया जाएगा।
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पानीपत में रोका बाल विवाह: लड़का और लड़की दोनों थे नाबालिग, शपथ पत्र लेकर फिलहाल रोकी गई शादी
लड़का व लड़की दोनों के स्कूली दस्तावेजों की जांच की गई तो लड़की की उम्र 16 साल व लड़के की उम्र 19 साल पाई गई। दोनों ही अभी शादी के योग्य नहीं थे। परिवार वालों से शपथ पत्र लेकर फिलहाल इस शादी को रोक दिया गया है।
हरियाणा के पानीपत जिले के एक गांव में बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बाल विवाह रुकवाया है। अधिकारी ने सूचना के आधार पर इस कार्रवाई को किया। लड़का व लड़की दोनों के स्कूली दस्तावेजों की जांच की गई। जिसमें लड़की की उम्र 16 साल व लड़के की उम्र 19 साल पाई गई। दोनों ही अभी शादी के योग्य नहीं थे। परिवार वालों से शपथ पत्र लेकर फिलहाल इस शादी को रोक दिया गया है। दोनों पक्षों से शपथ पत्र लेकर फिलहाल शादी पर रोक लगा दी है। वहीं 4 जनवरी को कोर्ट खुलने के बाद मामला कोट के संज्ञान में लाकर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता के अनुसार
जानकारी देते हुए बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि उन्हें सूचना प्राप्त हुई की गांव नवादा पार में एक नाबालिग लड़की की शादी होनी है। सूचना मिलने पर वह टीम के साथ मौके पर पहुंचे और वहां जाकर लड़की पक्ष से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान लड़की के सभी दस्तावेज चेक किए गए। लड़की के स्कूल के दस्तावेजों में उसकी जन्मतिथि मार्च 2005 की मिली। यानी दस्तावेजों के आधार पर लड़की अभी महज 16 साल की थी। इसके बाद लड़के पक्ष को फोन पर बात कर अपने कार्यालय बुलाया। जहां लड़का पक्ष मौजूद हुआ और लड़के के दस्तावेजों को चेक किया गया, जिसमें लड़का भी नाबालिग पाया गया। लड़के की उम्र दस्तावेजों के आधार पर 19 साल थी।
इन कारणों से हो रही थी बाल विवाह
लड़की के पिता ने बताया कि वह पेशे से श्रमिक हैं। यह अपनी बेटी की शादी गरीबी और अज्ञानता के चलते कर रहे थे। साथ ही वह खुद हार्ट पेशेंट है, उनकी तमन्ना थी कि उनके जीते जी उनकी बेटी की शादी हो जाए। वही लड़के पक्ष से लड़के का कहना है कि उसकी चार बड़ी बहने हैं, जो कि चारों विवाहित हैं। तीन भाई व एक छोटी बहन है। अब घर में कोई रोटी बनाने वाला नहीं था, क्योंकि मां की तबीयत सही नहीं रहती है। इसी के चलते वह शादी कर रहा था।
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बालिग हूं, मेरी मर्जी जहां जाऊं: थाने में युवक संग जाने को अड़ी 19 वर्षीय छात्रा, दो दिन पहले गई थी साथ
युवती ने पुलिस से साफ कह दिया कि वह युवक के साथ ही जाएगी। पुलिस और परिजनों के सामझाने पर वह नहीं मानी। छात्रा ने परिजनों की सब दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मैं बालिग हूं, मेरी मर्जी जहां जाऊं।
हरियाणा के रोहतक के जिले में कॉलेज से दो दिन पहले एक युवक संग गई युवती को पुलिस ने बरामद कर लिया। हालांकि युवती ने पुलिस से साफ कह दिया कि वह युवक के साथ ही जाएगी। पुलिस और परिजनों के सामझाने पर वह नहीं मानी। छात्रा ने परिजनों की सब दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मैं बालिग हूं, मेरी मर्जी जहां जाऊं।
कॉलेज गई थी प्रवेश पत्र लेने
लाखन माजरा थाना क्षेत्र के एक गांव से छात्रा मंगलवार सुबह कॉलेज के लिए यह कहकर निकली थी कि आगामी परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र लेने जा रही हूं। उसके वापस न लौटने पर परिजनों ने काफी खोज खबर की।रातभर छात्रा की खोज-खबर करने के बाद बुधवार सुबह पुलिस को सूचना दी। छात्रा के पिता ने थाना लाखन माजरा में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने छात्रा व युवक को वीरवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया। दोनों को थाना लाया गया। यहां छात्रा ने युवक संग जाने की रट लगा दी।
कोर्ट में होंगे पेश
मामले में थाना लाखन माजरा एसएचओ अब्दुल्ला खान का कहना है कि छात्रा बालिग है। छात्रा व युवक को कोर्ट में पेश किया जाएगा। वहां उनके बयानों के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। युवक व छात्रा को कोर्ट ले जाने की तैयारी की जा रही है।
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