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स्त्रियों का सबसे बड़ा आभूषण उनका वस्त्र है,अपने प्राचीन पहनावे को न भूले भारतीय महिलाएँ
……. विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता भी है,इसलिए पूरे समाज का संस्कारित होना अति आवश्यक है


प्राचीन काल से ही भारत देश को अपनी संस्कृति के नाम से ही जाना जाता है। देश में पुरषो और महिलाओं के रहन सहन काफी कुछ दर्शाते थे। जो समय के साथ इतना बदलाव आ गया है। अब भारत में विदेशी पहनावे को अपनाने लगे है जो भारतीय संस्कृति को खत्म नष्ट क्र रहे है। भारत देश प्राचीन काल से ही अपनी सांस्कृति को बनाये रखे हुए है जिसको विश्व के अन्य देश भी मानते है,लेकिन अब कुछ 10 सालो में जिस प्रकार के पहनावे को देश में अपनाया जा रहा है। उसको देख के नहीं लगता है की ये भारत है बल्कि ऐसा लगता है की हम फॉरन में है। पुरषो के पहनावे के साथ औरतो के पहनावे में बिल्कुल बदलाव देखने को मिल रहा है।
भारत देश प्राचीन काल से ही अपनी सांस्कृति को बनाये रखे हुए है जिसको विश्व के अन्य देश भी मानते है,लेकिन अब कुछ 10 सालो में जिस प्रकार के पहनावे को देश में अपनाया जा रहा है। उसको देख के नहीं लगता है की ये भारत है बल्कि ऐसा लगता है की हम फॉरन देश में जिंदगी जी रहे है। पुरषो के पहनावे के साथ औरतो के पहनावे में बिल्कुल बदलाव देखने को मिल रहा है।

बात करे सन 1980 तक लड़कियाँ कालेज में साड़ी पहनती थी या फिर सलवार सूट। इसके बाद साड़ी पूरी तरह गायब हुई और सलवार सूट के साथ जीन्स आ गया। 2005 के बाद सलवार सूट लगभग गायब हो गया और इसकी जगह Skin Tight काले सफेद स्लैक्स आ गए। फिर 2010 तंक लगभग पारदर्शी स्लैक्स आ गए जिसमे आंतरिक वस्त्र पूरी तरह स्प्ष्ट दिखते हैं। फिर सूट, जोकि पहले घुटने या जांघो के पास से 2 भाग मे कटा होता था, वो 2012 के बाद कमर से 2 भागों में बंट गया और फिर 2015 के बाद यह सूट लगभग ऊपर नाभि के पास से 2 भागो मे बंट गया जिससे कि लड़की या महिला के नितंब पूरी तरह स्प्ष्ट दिखाई पड़ते हैं और 2 पहिया गाड़ी चलाती या पीछे बैठी महिला अत्यंत विचित्र सी दिखाई देती है।

आश्चर्य की बात यह है कि यह पहनावा कालेज से लेकर 40 वर्ष या ऊपर उम्र की महिलाओ में अब भी दिख रहा है। बड़ी उम्र की महिलायें छोटी लड़कियों को अच्छा सिखाने की बजाए उनसे बराबरी की होड़ लगाने लगी है। अब कुछ नया हो रहा 2018 मे, स्लैक्स ही कुछ Printed या रंग बिरंगा सा हो गया और सूट अब कमर तक आकर समाप्त हो गया।

साथ ही कालेजी लड़कियों या बड़ी महिलाओ मे एक नया ट्रेंड और आ गया, स्लैक्स अब पिंडलियों तंक पहुच गया, कट गया है नीचे से, इस्लाममिक पायजामे की तरह है ( हिन्दू पुरुषों की वेशभूषा में पिछले 40 वर्ष मे कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नही हुआ ) जबकि इसके उलट मुस्लिम लड़कियाँ तो अब Mall जाती है, बड़े होटलों में, सामाजिक पार्टियों में जाती है, तो पूरा ढका हुआ बुर्का या सिर में चारो तरफ लिपटे कपड़े के साथ दिखाई पड़ती है।

लड़कियो के अधनग्न घूमने पर जो लोग या स्त्रिया ये कहते है की कपडे नहीं सोच बदलो उन लोगो से कुछ प्रश्न है !
1) सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है?
2) लड़कियो की सोच का आकलन क्यों नहीं करते? कि उन्होंने क्या सोचकर ऐसे कपडे पहने कि उसके पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है. इन कपड़ो के पीछे उसकी सोच क्या थी? एक निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे,वही दूसरी तरफ एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उसे इस तरह से देखे।

सत्य यह है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दुकान है। मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता भी है। गली-गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।

जितने श्रिंगार की वस्तुयें हैं, वे स्त्रियों के लिए हैं। पुरुष को श्रिंगार की जरुरत नहीं होती। स्त्रियों का सबसे बड़ा आभूषण उनका वस्त्र है। स्त्री कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो पर बिना वस्त्र, कल्पना करें, केवल काम वासना ही सही ठहरा सकती है। भोजन अपनी रुचि और दूसरे के रुचि के श्रिंगार का उल्लेख शास्त्रों में है।

समाज को स्वस्थ एवं चरित्रवान बनाने का दायित्व स्त्री-पुरुष, दोनो, का है, नग्नता, अर्ध नग्नता की समस्या महिला समुदाय, खासकर वरिष्ठ माताओं/दादियोंको, को गंभीरता से लेना चाहिए और अपने स्तर से देखना चाहिए कि बच्चियों/लड़कियों/युवतियों के लिए कौन सा पहनावा शालीन और दूसरों के लिए रुचिकर होगा। इसलिए पूरे समाज का संस्कारित होना अति आवश्यक है।
….. नसीब सैनी
NEWS
जय श्रीराम पर ममता का स्पष्टीकरण बंगालवासियों की जीत : कैलाश विजवर्गीय
जब पूरे देश में इसकी आलोचना हुई तो शनिवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर ममता बनर्जी ने सफाई दी ………………


कोलकाता,(नसीब सैनी)।
जय श्रीराम के नारे को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दी गई सफाई पर भाजपा ने पलटवार किया है। पार्टी के महासचिव और प्रदेश इकाई के प्रभारी कैलाश विजवर्गीय ने एक ट्वीट के जरिए ममता बनर्जी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि जय श्रीराम को लेकर ममता बनर्जी की सफाई बंगालवासियों की जीत की तरह है। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री को ग्लानि है। इसके साथ ही उन्होंने ममता पर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया।

विजयवर्गीय ने ट्वीट किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हैं कि उन्हें ‘जय श्री राम’ से कोई आपत्ति नहीं है, तो फिर वह कौन थी जो आपत्ति कर रही थी, भूत-प्रेत या कोई आत्मा?? सच तो यह है कि बंगाल की जनता ने ममता बैनर्जी को झुकने पर मजबूर कर दिया है, यह बंगाल की जनता की जीत है।।।जय श्रीराम।।” उल्लेखनीय है कि गत गुरुवार को अपने काफिले के सामने जय श्रीराम का नारा लगाने वाले लोगों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चमड़ी उतारने की चेतावनी दी थी। इसके साथ ही उन्होंने नारेबाजी कर रहे लोगों को गालियां भी दी थी।

जब पूरे देश में इसकी आलोचना हुई तो शनिवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर ममता बनर्जी ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि उन्हें जय श्रीराम के नारे से कोई समस्या नहीं है। भाजपा इसका राजनीतिक इस्तेमाल करती है और इसके खिलाफ वह लड़ाई लड़ेंगी।
नसीब सैनी
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मणिपुर में हवाई सेवा की शुरुआत
इंफाल। मणिपुर के आकाश में अब हेलीकॉप्टर उड़ते देखे जा सकेंगे। बुधवार से मणिपुर में हेलीकॉप्टर सेवा के औपचारिक रूप से शुरुआत हुई। पहली बार बुधवार को पवन हंस नामक कंपनी द्वारा हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की गई है।
पहले दिन बुधवार को यह हेलीकॉप्टर इंफाल से जिले जिरीबाम तक उड़ाया जा रहा है, जिसमें सात यात्री सवार हुए हैं। इस हेलीकॉप्टर सेवा के शुरू होने से मणिपुर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में लोगों को आसानी होगी। दुर्गम पहाड़ियों में रास्ते नहीं होने की वजह से पूरे राज्य में लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरे पूर्वोत्तर राज्य में आवागमन की सुविधा को बढ़ाने के लिए विशेष स्तर पर कार्य कर रही है। इसी कड़ी में मणिपुर में बुधवार से शुरू हुई हेलीकॉप्टर सेवा को देखा जा सकता है। इस सेवा के शुरू होने को लेकर राज्य की जनता के बीच व्यापक हर्ष का माहौल है।
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GST revised rates: Now, pay less for eating out and ordering food

Eating out in hotels and restaurants will become cheaper from today (15 November) with the Goods and Service Tax Council having slashed rates to five percent from 12 and 18 percent earlier. Be it eating in restaurants or ordering takeaways, the tax will be the same, ie, 5 percent. However, there is no formal notification from the government as yet.
A uniform 5 percent tax was prescribed by the council for all restaurants, both air-conditioned and non-AC. Union Finance Minister Arun Jaitley said that the Input Tax Credit (ITC) benefit given to restaurants was meant to be passed on to the customers.
Currently, 12 percent GST on food bill is levied in non-AC restaurants and 18 percent in air-conditioned ones. All these got input tax credit, a facility to set off tax paid on inputs with final tax. The council said the restaurants, however, did not pass on the input tax credit (ITC) to customers and so the ITC facility is being withdrawn and a uniform 5 percent tax is levied on all restaurants without the distinction of AC or non-AC.
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